alien technology |future technology|एलियंस सभ्यता की टेक्नोलॉजी केसी होगी |सबसे उन्नत टेक्नोलॉजी ?टाइप 3 सभ्यता - THEDIGITALMIND BLOG

Tuesday 30 June 2020

alien technology |future technology|एलियंस सभ्यता की टेक्नोलॉजी केसी होगी |सबसे उन्नत टेक्नोलॉजी ?टाइप 3 सभ्यता

alien technology |future technology|एलियंस सभ्यता की टेक्नोलॉजी केसी होगी |सबसे उन्नत टेक्नोलॉजी ?टाइप 3 सभ्यता 



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आज हम इंसान इतने एडवांस्ड हो चुके है की हम कुछ भी काम बड़ी आसानी से कर सकते है ,अपनी मशीनो से और अपने दिमाग हम आज सबसे इन्तेलेजेंट्स है , अगर आप भी ये सोचते हो तो आज आपको ये ब्लॉग पड़ना चाहिए क्योंकि इस यूनिवर्स में हम अकेले नहीं है |और भी कई सभ्यता हमसे भी जायदा इन्तेलेजेंट्स हो सकती है |और अगर आप एलियंस पर विस्वास नही करते हो तो आप को अपने ही गृह पृथ्वी में हो एसे कई टेक्नोलॉजी मिल जायंगी जो है तो बहुत पुरानी पर हमारी आज की टेक्नोलॉजी से कई आगे थी |पर सवाल ये है की कहा गयी ये टेक्नोलॉजी पर आज हम लॉस्ट टेक्नोलॉजी  के बारे में बात नहीं करने वाले है |आज हम सिर्फ आने वाली और दूसरी टेक्नोलॉजी के बारे बात करने वाले है |तो हीलो दोस्तों  वेलकम तो माय न्यू ब्लॉग तो अगर आप साइंस ,स्पेस ,और टेक्नोलॉजी के फेन है तो जल्दी इस ब्लॉग को फॉलो कर लीजिये तो चलिए शुरू करते है

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1.TECHNOLOGY OF ALL CIVILIZTION
आज हम जितने भी एडवांस्ड अपने आप को क्यों न मानते हो पर हम अब भी 0 ही है ,क्योंकि साइंटिस्टों के एक नियम में सभ्यता तिन चरण यानि 3 टाइप की होती है ,और इसी स्केल के एक शुत्र के दोरान हम टाइप 1 में भी नहीं आते है |और इसी से हम अपने आप को सबसे टेक्नोलॉजिकल नहीं मान सकते है ,क्योंकि इस यूनिवर्स की उम्र बहुत ही मिलीओंन या शायद बिलियन है ,और जो सभ्यता सबसे पहेले आई होगी वो कितनी आगे होगी क्योंकि इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते है ,की हमें इस पृथ्वी पर आये इतना समय हो गया है और आज हम कितना आगे है तो जो सभ्यता कई लाखो साल पहेले आई होगी वो कितनी एडवांस होगी और सायद वो किसी दुसरे प्लेनेट को बना भी सकती हो |और जिन्हें हम गोद भी कहेते है अब हम बात कर लेते है टाइप्स के बारे में

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पृथ्वी, सौर मंडल और मिल्की वे कार्दशेव स्केल द्वारा परिभाषित तीन प्रकार की सभ्यताओं में अनुमानित ऊर्जा खपत
कार्दशेव स्केल  सभ्यता की तकनीकी उन्नति के स्तर को मापने की एक विधि है जो वे उपयोग की जाने वाली ऊर्जा के आधार पर करते हैं। 1964 में सोवियत खगोल विज्ञानी निकोलाई कार्दशेव द्वारा इस प्रस्ताव का प्रस्ताव किया गया था  स्केल  पर तीन निर्दिष्ट श्रेणियां हैं:

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टाइप 1 सिविलाइज़ेशन , जिसे एक ग्रह सभ्यता भी कहा जाता है - अपने ग्रह पर उपलब्ध सभी ऊर्जा का उपयोग और भंडारण कर सकती है।
एक टाइप II सिविलाइज़ेशन, जिसे एक तारकीय सभ्यता (स्टार सिविलाइज़ेशन) भी कहा जाता है - अपने ग्रह प्रणाली के स्केल  पर ऊर्जा का उपयोग और नियंत्रण कर सकती है।
एक टाइप  III सिविलाइज़ेशन जिसे एक गेलेक्टिक सभ्यता भी कहा जाता है - अपनी संपूर्ण मेजबान आकाशगंगा के पैमाने पर ऊर्जा को नियंत्रित कर सकती है।तो चलिए सिविलाइज़ेशन के बारे में बात करते है |

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2.TYPE OF ALL CIVILIZATION
TYPE 1
एक सिविलाइज़ेशन  का तकनीकी स्तर जो "वर्तमान में पृथ्वी पर प्राप्त स्तर के करीब है, at4 × 1019 erg / sec में ऊर्जा की खपत के साथ" (4 × 1012 वाट)।  वर्तमान में, टाइप I की सभ्यता को आमतौर पर एक के रूप में परिभाषित किया जाता है जो अपने मूल तारे से पृथ्वी पर गिरने वाली सभी ऊर्जा का दोहन (इस्तमाल)कर सकती है (पृथ्वी-सूर्य प्रणाली के लिए, यह मान 1.74 × 1017 वाट के करीब है), जो लगभग चार आदेश हैं 32 × 1013 वाट पर ऊर्जा की खपत के साथ, वर्तमान में पृथ्वी पर प्राप्त होने वाली मात्रा से अधिक है। खगोलशास्त्री गुइलेर्मो ए। लेमरचंद ने इसे समकालीन स्थलीय सभ्यता के पास एक स्तर के रूप में बताया, जिसमें 1016 और 1017 वाट के बीच पृथ्वी पर सौर ऊर्जा के बराबर ऊर्जा क्षमता होती है|
अगर आम भासा में कहे तो एक ऐसी सभ्यता सो अपने तारे से आने वाली सारी रोशनी का इस्तमाल कर सकती हो

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TYPE 2
एक सभ्यता जो अपने स्वयं के तारे द्वारा विकिरणित ऊर्जा का उपयोग करने में सक्षम है - उदाहरण के लिए, डायसन क्षेत्र के सफल निर्माण का चरण- at4 × 1033 एर्ग / सेकंड में ऊर्जा की खपत के साथ।  लेमरचंद ने इसे एक सभ्यता के रूप में बताया जो अपने तारे के संपूर्ण विकिरण उत्पादन का उपयोग करने और उसे सक्षम करने में सक्षम है। ऊर्जा का उपयोग तब सूर्य के प्रकाश की तुलना में लगभग 4 × 1033 erg / sec (4 × 1026 वाट) होगा।

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TYPE 3

Axy4 × 1044g / सेकंड में ऊर्जा की खपत के साथ अपनी आकाशगंगा के पैमाने पर ऊर्जा के कब्जे में एक सभ्यता। [१] लेमरचंद ने इसे पूरी मिल्की वे आकाशगंगा की चमक की तुलना में लगभग 4 × 1044 erg / sec (4 × 1037 वाट) की शक्ति के साथ एक सभ्यता के रूप में कहा। [2]
कर्दाशेव का मानना ​​था कि एक टाइप 4 सभ्यता असंभव थी, इसलिए वह टाइप 3 में नहीं गए। हालांकि, नए प्रकार (0, IV, V, VI) प्रस्तावित किए गए हैं ये सारी तो हो गयी सिविलाइज़ेशन की बाते अब हम टेक्नोलॉजी को समजते है
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3.एलियन टेक्नोलॉजी
आज की टेक्नोलॉजी पहेले से बहुत ही आगे है ये मानना सायद ही सच हो क्योंकि आज से पहेले कई एसे एसे चीज मिल चुकी है जिसे बनाना आज के समय में बहुत ही मुस्किल है अपने पिरामिंद के बारे तो सुना ही होगा तो क्या आपको पता है की आज के समय में हम उसे बना ही नहीं सकते है ,तो केसे उसे इतने सालो पहेले बना दिया था |साइंटिस्ट भी आज तक इसका पता नहीं निकल पाए है ,हमारी आज की टेक्नोलॉजी से बनी क्रेन भी इतना बजन नही उठा सकती है जितना की एक पिरामिंद का एक पथर होता है पुराने समय में हाती भी इंतना बजन नहीं उठा सकता है |साइंटिस्ट उसे एलियन टेक्नोलॉजी मानते है |क्योंकि उस समय में ये बनाना नामुमकिन था |और साथ ही वह की लिए बनाये जाते थे ,कोई नहीं जनता है |कुछ साइंटिस्ट पिरामिंद के बारे में क्या कहेते है आगे हम जानने वाले है |

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किस काम आते थे ,पिरामिंद
साइंटिस्ट की मने तो पिरामिंद आसमान और तारे से बने तारा मंडल की और इशारा करते है ,साथ ही कुछ पिरामिंद में ग्लाक्स्य भी बनी होती है ,जो  साइंटिस्ट की मने तो वो एलियंस की और इशारा करती है |पिरामिंद के उपर आज भी शोध काहल रहा है ,पर कोई भी पिरामिंद के बारे में नहीं जनता है साइंटिस्ट मानते है की ये वायरलेस एनर्जी देते थे, जो एलियंस के शिप को चलती टी और vo energy  बिलकुल ही क्लीन थी  ,वो हमारी  तरह पेट्रोल का इस्तामल नहीं करते थे ,वो इसी वायरलेस एनर्जी का इस्तमाल करते थे |अब हम टाइप्स से साडी टेक्नोलॉजी को समजते है


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4.AAL TAYPES CVILIZATION TECHNOLOGY
TYPE 1
तो टाइप 1 की बात करे तो इतनी टेक्नोलॉजी जो अभी भी हमारे पास नहीं जेसे जो की स्पेस में एक जो की अपने तारे की अधिक से अधिक उर्जा को नियंत्रण कर सके और हम साडी उर्जा को एसे ही बेकार कर देते है जो की हमारे बहुत ही काम की है टाइप्स की स्केल में हम अभी भी सिर्फ जीरो ही है और लग भग 100 सालो में हम टाइप 1 में आ जायेंगे अब हम दिन पे दिन टेक्नोलॉजी को बढ़ा ते ही जा रहे है ,और अभी तक हम एक विफि से चलने बाली एनर्जी भी नहीं बना पाए है ,और आने वाले कुछ सालो में हम ये भी कर पायंगे हम विफि से फ़ोन कोभी चार्ज कर पाएंगे और हम अभी तो बहुत ही निचे है |

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TYPE 2
TYPE 2 सिविलाइज़ेशन को आप एक अच्छी खासी दुनिया को बानेने वाली सभ्यता भी कहे सकते हो क्योंकि ये सूरज से आने  वाली साडी उर्जा की खपत कर सकती है ,और अपने मन मर्जी से मार्स और अर्थ  को बदल सकती है और और बो अपने तारे को चारो तरफ रिंग जेसा बना सकती है |और पुरे गृह पे पूरा कण्ट्रोल कर सकती है ,वो पुरे सोलर सिस्टम पर अपना राज भी कर सकती है ,ये सभ्यता बहुत ही टेक्नोलॉजी में आगे होगी और सायद लाइट की स्पीड से ट्रेवल कर सकती हो अब हम जीरो पर ही है और टाइप 1 पर आने के लिए  100 साल हमें लगेंगे और टाइप 2 में आने के लिए करीब 500 या 200 साल लगेंगे क्योंकि एक बारे कोई सभ्यता टाइप 1 में आगयी तो उसे टाइप 2 में आने के लिए शिर्फ़ 100 साल ही लगेंगे

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TYPE 3
TYPE 3 सिविलाइज़ेशन  को आप गॉड सिविलाइज़ेशन भी कह सकते हो क्योंकि ये सिविलाइज़ेशन पुरे ग्लेक्सी की उर्जा का इस्तमाल कर सकती है ,और दुरे प्लेनेट इनके लिए सिर्फ पार्क होंगे ये कुछ भी कर सकती है ,किसी गृह को बर्बाद करना हो या बनाना ये कुछ भी कर सकती है |ये एक गॉड सिविलाइज़ेशन है ,ये किसी भी गृह पर जीवन  भी बना सकती है और ये अपने आने जाने के लिए लाइट से भी तेज़ स्पीड का इस्तमाल करते होंगे ये शायद वार्प ड्राइव या वार्म होल का इस्तमाल करते हो या कुछ उस से भी तेज़ (गर आपको वार्प ड्राइव के बारे में नहीं जानते हो तो वर ड्राइव पर क्लिक करे ) ये बिलकुल ही एक गोद है ,और साइंटिस्ट ये मानते है की किसी इसी सिविलाइज़ेशन ने ही हमें बनाया है |

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तो केसी लगी आज की पोस्ट अगर कोई सवाल है तो कमेंट जरुर करना और फोलो भी तो मिलते है अगली पोस्ट में

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